दोस्तों आज मै भारत के महान वीर पुत्र भगत सिंह के बारे में बात करुगा | देश की आजादी दिलाने में अपनी जान को न्योछावर करने वाले भगत सिंह हर भारतीयों का दिल में बसता है |
भगत सिंह का जन्म 28 सितंबर 1907 में लायलपुर जिला के बंगा में हुआ था | यह स्थान वर्तमान में पाकिस्तान में है | भगत सिंह का पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माँ का नाम विद्यावती कौर था | भगत सिंह का पूरा परिवार देश के आजादी में सक्रीय थे | भगत सिंह के पिता और चाचा ग़दर पार्टी के सदस्य थे | ग़दर पार्टी की स्थापना अमेरिका में हुआ था | इस पार्टी का उदेश्य भारत को आजाद करना था 1916 में लाहौर के डी ए वी स्कूल के समय जाने माने राजनेता लाला लाजपत राय के संपर्क में आये 13 अप्रैल 1919 को जालियाँवाला हत्या कांड से भगत सिंह पर गहरा प्रभाव पड़ा | उस समय भगत सिंह 12 वर्ष के थे भगत सिंह ने जब यह सुना की हत्या कांड हुआ है वह आपने स्कुल से 12 किलोमीटर चलकर जलियाँवाला बाग पहुंच गए | इस हत्या कांड के कारण भगत सिंह ने नेशनल कॉलेज में पड़ाई छोडकर भारत की आजादी के लिए नौजवान भारत सभा की स्थापना की | क्रांतिकारी आन्दोलन को एक नई दिशा दी | भगत सिंह ने 1920 में महत्मा गाँधी के आंदोलन अहिंसा आंदोलन से जुड़ गये इस आंदोलन में महत्मा गांधी विदेशी समान का वहिष्कार कर रहे थे | 1921 में भगत सिंह ने सरकारी कपड़े और स्कुल का किताब जला दिए | 1921 में जब चौरा -चौरा हत्याकांड में के बाद जब महत्मा गाँधी जी ने जब किसानो का साथ नहीं दिया इसलिए चंद्रशेखर आजाद के नेतृत्व में जो सगठन चल रहा था उसमे भगत सिंह ने भाग लिए | जिसका नाम ग़दर दल था | चंद्रशेखर आजाद के साथ मिलकर हिंदुस्थान समाजवादी प्रजातंत्र संघ का गठन किया | भगत सिंह ने चंद्रशेखर आजाद रामप्रसाद बिस्मिल और प्रमुख कांतिकारियों के साथ मिलकर 9 अगस्त 1925 को शाहजहांपुर से लखनऊ रेल चली थी | इसके बीच एक छोटे से स्टेशन पर सरकारी खोजना को लुटा गया | इस घटना को इतिहास के पन्ने में काकोरी कांड खा जाता है | भगत सिंह और भगत सिंह लाला लाजपत राय से बहुत ज्यादा प्रवाभित थे | अंग्रेज ने डंडे से लाला लाजपत राय को मार दिया था | लाजपत राय का बदला लेने के लिए पुलिस अधिकारी की हत्या की और बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर केंद्रीय विधान सभा में बम फेका | बेम से किसी को नुकसान नहीं हुआ | और भगत सिंह भागने के जगह वही पर खड़ा होकर नारे लगाने लगे | अगर भगत सिंह चाहते तो वह भाग सकते थे लेकिन भारत के महान पुत्र में गिरफ़्तारी दिया | अपनी सुनवाई के दौरान कोई वकील नहीं रखा | जेल में हो रहे भारतीयों पर जुल्म के खिलाफ भगत सिंह ने भूख हड़ताल की | 7 अक्टूबर 1930 को कोर्ट ने भगत सिंह सुखदेव और राज गुरु को विशेष न्यालय ने मौत का सजा सुनाया गया | और 23 मार्च 1931 को भगत सिंह साथ सुखदेव और राज गुरु को भी फांसी दे दी गयी |
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