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Birds Name in Hindi and English

 Birds Name in Hindi and English


दोस्तों आज मै आपको Birds Name in Hindi and English पक्षी के बारे बताउगा तो हो जाइये तैयार आज पक्षी में बारे में तो जानेगे साथ ही बहुत मजेदार फैक्ट के बारे में जानेगे | 

आशा करते है की आपको यह आर्टिकल बहुत अच्छा लगेगा आपको बहुत से मजेदार जानकारी जानने को मिलेगा !

Birds Name in Hindi and English
Birds Name in Hindi and English

  • मोर: पंखों का राजा (Mor: Pankhon ka Raja)

    आपने प्यारे भारत देश का राष्ट्रीय पक्षी मोर है ! यह बहुत  सुन्दर होने के साथ ही अपने चमकदार नीले पंखों के लिए जाना जाता है, यह एक सुंदर और आकर्षक पक्षी है, जो न सिर्फ अपने रंगों के लिए बल्कि कई खासियतों के लिए भी जाना जाता है। आइए जानते हैं मोर के बारे में कुछ रोचक तथ्य: bird name in hindi and english

    • पंखों का नाटक: दोस्तों आप जानते ही है जब हम लोग बच्चे थे तो मोर का पंख कॉपी में रखते है और चोक खिलते थे ! नर मोर अपने चमकदार नीले पंखों को खोलकर मोरनी को रिझाता है। ये पंख असल में भूरे रंग के होते हैं, लेकिन उन पर सूर्य की रोशनी पड़ने से रंगीन आकृतियां बनती हैं। और बहुत सुन्दर दृश्य देखने को  मिलता है !
    • नृत्य का सिलसिला: जब आसमान में बादल होता है तो मोर नाचते हुए अपने पंखों को खोलता और बंद करता है, साथ ही कुछ खास तरह की आवाजें भी निकालता है। 
    • मादा का साधारण रूप: मोरनी का रंग भूरा होता है और वह दिखने में साधारण लगती है।

    • विशिष्ट आवाजें: मोर कई तरह की आवाजें निकाल सकता है, जैसे कि चीखना, फुफकारना और घंटी जैसी बजने वाली आवाज। नापते समय मोर आवाज निकलती है !
    • सर् सर्प का शत्रु: मोर जहरीले सांपों को भी खा जाता है। माना जाता है कि मोर के शरीर में जहर का असर नहीं होता। ये मोर का एक गुण है !
    • इंद्रधनुषी संबंध: मोर के पंखों पर मौजूद संरचनाएं  ही उसे इंद्रधनुषी रंग देती हैं। ये संरचनाएं प्रकाश को मोड़कर अलग-अलग रंगों को दर्शाती हैं। जो दिखने में बहुत ही ज्यादा खूबसूरत लगता है !

    तो, अगली बार जब आप मोर को देखें, तो उसके नाटकीय प्रदर्शन और अद्भुत रंगों से मंत्रमुग्ध हो जाइए!  तो दोस्तों आपने मोर के बारे में जाना अब जानते है तोता 


  • तोता (Tota)   तोता: नकलची कलाकार (Tota: Nakalchi Kalaakar)
  • तोता अपनी नकल करने की शानदार क्षमता के लिए जाना जाता है. यह बुद्धिमान पक्षी न सिर्फ मानवीय आवाजों की, बल्कि फोन की घंटी, दरवाजे की घंटी जैसी अन्य ध्वनियों की भी हूबहू नकल कर सकता है. आइए जानते हैं तोते के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

  • Birds Name in Hindi and English

    • बातूनी और बुद्धिमान: तोता न केवल आवाजों की नकल करता है, बल्कि कुछ प्रजातियाँ सीखे हुए शब्दों को समझ भी सकती हैं. वे वाक्यों का संदर्भ पकड़ सकते हैं और उचित परिस्थिति में उनका इस्तेमाल भी कर सकते हैं.

    • रंगों का जाल: तोते विभिन्न आकार और रंगों में पाए जाते हैं. हरे, लाल, नीले और पीले रंगों का मिश्रण तोतों को आकर्षक बनाता है.! लोग इसे बहुत प्यार से पालते है !

    • मजबूत रिश्ते: तोते सामाजिक पक्षी होते हैं और झुंड में रहना पसंद करते हैं. वे अपने साथी के साथ मजबूत बंधन बनाते हैं और एक-दूसरे की देखभाल करते हैं! तोता के तरह बहुत से पक्षी झुंड में रहना पसंद करता है !.

    • दीर्घायु पक्षी: तोतों की उम्र काफी लंबी होती है. कुछ प्रजातियाँ तो 80 साल तक भी जीवित रह सकती हैं. इसलिए तोते को पालने से पहले यह ध्यान रखना जरूरी है कि आप उनकी पूरी उम्र उनके लिए देखभाल कर सकेंगे. दोस्तों क्या आप बता सकते है की किस जानवर का उम्र सबसे ज्यादा होता है !

    • प्राकृतिक भूमिका: जंगल में तोते पेड़ों पर फल, बीज और मेवे खाते हैं. ये बीजों को दूर-दूर तक फैलाने में मदद करते हैं, जिससे जंगल का पारिस्थितिकी तंत्र संतुलित रहता है.! पक्षी एक तरह से किसान का दोस्त होता है !

    तो, अगली बार जब आप तोते को देखें, तो उसकी नकल करने की कला और खूबसूरत रंगों की सराहना करें. लेकिन यह भी याद रखें कि तोते जंगली पक्षी हैं और उन्हें पालने से पहले उनकी देखभाल करने की ज़िम्मेदारी के बारे में गंभीरता से विचार करें.! मुझे लगता है पक्षी को आजादी पसंद है इसे खुले जिंदगी ही रहना चाहिए !

  • कबूतर (Kabutar)  कबूतर: पंखों वाला डाकिया (Kabutar: Pankhonwala Dakia)
  • कबूतर को शायद ही कोई ऐसा होगा जो ना पहचानता हो! यह शहरों और गांवों में आसानी से दिखने वाला पक्षी है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कभी कबूतरों को संदेशवाहक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था? आइए जानते हैं कबूतरों के बारे में कुछ रोचक तथ्य:Bird name in hindi and english

    • प्राकृतिक नेविगेशन: कबूतर अद्भुत नेविगेशन स्किल के लिए जाने जाते हैं. यह दिखने में बहुत अच्छा लगता है इसलिए लोग इसे पालते है !वो सूर्य की दिशा, पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र और अपनी शानदार याददाश्त की मदद से न सिर्फ रास्ता ढूंढ सकते हैं बल्कि वापस अपने घोंसले तक भी लौट सकते हैं. इसी खासियत के चलते उन्हें प्राचीन समय में संदेशवाहक के रूप में इस्तेमाल किया जाता था.लोग इसे पत्र पहुंचने के लिए इस्तेमाल करते थे !
    • तेज़ रफ्तार: कबूतर हवा में काफी तेज गति से उड़ सकते हैं. कुछ प्रजातियां तो 60 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा रफ्तार से उड़ सकती हैं.! कबूतर 1 घंटा में 60 किलोमीटर तक उड़ान भर सकता है !

    • शानदार याददाश्त: कबूतरों की याददाश्त बहुत ही कमाल की होती है. वे रास्ते, लोगों के चेहरे और यहां तक ​​कि सालों पहले देखी हुई जगहों को भी याद रख सकते हैं.! पता नहीं कबूतर कौन सा बादाम खाता है जो इतना सब कुछ याद रखता है !
    • मजबूत रिश्ते: कबूतर सामाजिक पक्षी होते हैं और जोड़े बनाकर रहना पसंद करते हैं. वे एक-दूसरे की देखभाल करते हैं और साथ मिलकर बच्चों को पालते हैं. जो एक बहुत अच्छा संस्कार है !
    • शहरों के वासी: कबूतर आसानी से इंसानों के आसपास रहना सीख गए हैं. इसलिए आप इन्हें शहरों की इमारतों और चौराहों पर आसानी से देख सकते हैं.

    तो, अगली बार कबूतर को देखते समय याद रखें कि ये सिर्फ एक आम पक्षी नहीं हैं, बल्कि अपने अद्भुत नेविगेशन स्किल और मजबूत रिश्तों के लिए भी जाने जाते हैं. तो उम्मीद है आपने कबूतर के बारे में कुछ तथ्य जरूर जाने होंगे !bird name in hindi and english

  • कौआ (Kauwa) कौआ: बुद्धिमान और चालाक पक्षी (Kauwa: Budhimaan aur Chalaak Pक्षी)
  • कौआ अक्सर अपशगुन का प्रतीक माना जाता है, लेकिन ये पक्षी वाकई में काफी बुद्धिमान और चालाक होते हैं. आइए जानते हैं कौवे के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

    • समस्याओं का समाधान: कौवे समस्याओं को सुलझाने में माहिर होते हैं. वे न सिर्फ औजार इस्तेमाल करना जानते हैं, बल्कि दूसरों के द्वारा बनाए गए औजारों को भी समझ सकते हैं और उनका इस्तेमाल कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, ये रास्ते में पड़े हुए मेवे को गाड़ियों के पहियों से कुचलवाकर आसानी से निकाल लेते हैं.

    • शानदार स्मृति: कौवों की स्मृति अद्भुत होती है. याद रखने का क्षमता होता है !ये चेहरों को पहचान सकते हैं और उन लोगों को याद रख सकते हैं जिन्होंने उनके साथ अच्छा या बुरा व्यवहार किया है. माना जाता है कि ये बदला लेने की भावना भी रखते हैं.

    • संवाद में माहिर: कौवे विभिन्न प्रकार की आवाजें निकालकर आपस में बातचीत करते हैं. उनकी आवाजों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि वे खतरे की चेतावनी, भोजन की सूचना और आपसी तालमेल जैसी जटिल बातें एक दूसरे को बताते हैं.

    • सामाजिक प्राणी: कौवे झुंड में रहना पसंद करते हैं. ये मिल-जुलकर रहते हैं और एक दूसरे की मदद करते हैं. शिकारियों से बचने के लिए वे एक-दूसरे को खतरे की चेतावनी देते हैं और भोजन खोजने में भी सहयोग करते हैं.ये साथ मिलकर रहते है जो एक अच्छी बात है !

    • अनुकूलनशील प्रजाति: कौवे वातावरण के अनुकूल खुद को ढालने में माहिर होते हैं. ये शहरों और ग्रामीण दोनों ही इलाकों में रह सकते हैं और आसानी से इंसानों के आसपास रहने का तरीका सीख लेते हैं.

  • कोयल (Koyal) कोयल: सुरों की रानी (Koyal: Suron Ki Rani)
  • अपनी मधुर गायिकी के लिए जानी जाने वाली कोयल, भारत के प्रसिद्ध पक्षियों में से एक है. गर्मी के दिनों में जंगलों और पेड़ों से आती हुई मीठी सी उसकी कूक, वातावरण को सुहाना बना देती है. मधुर आवाज से मन मोह लेता है !आइए जानते हैं कोयल के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

    • गायिका नहीं, परजीवी: कोयल की मधुर कूक असल में गाने जैसी नहीं होती. यह आवाज नर कोयल मादा को आकर्षित करने के लिए निकालता है. दिलचस्प बात ये है कि कोयल खुद अपना घोंसला नहीं बनाती. वह कौवे या द्रोणपुच्छ (Dronapuchchh) जैसे दूसरे पक्षियों के घोंसले में अपना अंडा दे देती है.

    • छलिया माँ: कोयल का अंडा मेजबान पक्षी के अंडों से थोड़ा छोटा होता है, लेकिन जल्दी फूटता है. कोयल का चूजा मेजबान पक्षी के चूजों को घोंसले से बाहर धकेल देता है, जिससे उसे सारा खाना मिल जाता है और वह तेजी से बढ़ता है.

    • भोजन की रानी: कोयल सिर्फ फल नहीं खाती बल्कि कीड़े मकोड़े और छोटे सरीसृप भी खाती है. खासकर फल खाने के मौसम में ये मीठे फलों का भरपूर सेवन करती है.

    • विभिन्न प्रजातियाँ: भारत में कोयल की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से प्रमुख हैं - काली कोयल (Common Indian Cuckoo) और पहाड़ी कोयल (Asian Koel). इन दोनों प्रजातियों की कूक में थोड़ा अंतर होता है.

    • प्रवासी पक्षी: कोयलें प्रवासी पक्षी होती हैं. सर्दियों में ये भारत छोड़कर दक्षिण की ओर चली जाती हैं और गर्मियों की शुरुआत में वापस लौट आती हैं.Bird name in hindi and english


  • बत्तख (Batakh)  बत्तख: जल पर राज करने वाली (Batakh: Jal Par Raj Karne Wali)
  • बत्तखें विभिन्न आकार, रंगों और प्रजातियों में पाई जाने वाली जलपक्षी होती हैं. यह पानी में रहना पसंद करता है !ये तालाबों, नदियों और झीलों में रहना पसंद करती हैं और अक्सर इन्हें समूह में तैरते हुए देखा जा सकता है. आइए जानते हैं बत्तखों के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

    • जलीय जीवन में माहिर: बत्तखों के शरीर तैरने के लिए अनुकूल होते हैं. जो आसानी के साथ तैरती है !उनके पैरों में जाल होते हैं जो पानी को हटाने में मदद करते हैं और चोंच चपटी होती है जिससे वे पानी में कीड़े मकोड़े और जलीय पौधे आसानी से पकड़ सकती हैं.

    • तेज तैराक: बत्तखें पानी में काफी तेज गति से तैर सकती हैं. कुछ प्रजातियाँ तो 80 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा रफ्तार से तैर सकती हैं, जो उन्हें शिकारियों से बचने में मदद करता है.और शिकार करने में मदद करता है !

    • विभिन्न प्रकार की चोंच: विभिन्न प्रजातियों की बत्तखों की चोंचें भी अलग-अलग तरह की होती हैं. कुछ की चोंच चम्मच के आकार की होती है, जो पानी को छानकर उसमें मौजूद छोटे जीवों को खाने में मदद करती है, तो कुछ की चोंच दांतेदार किनारों वाली होती है, जिससे वे मछलियों और जलीय पौधों को आसानी से खा सकती हैं.

    • नर और मादा में अंतर: नर और मादी बत्तखों में आमतौर पर रंगों में अंतर होता है. नर बत्तख अधिक चमकीले रंगों के होते हैं, और अच्छे दिखते है जबकि मादाएं भूरे या सादे रंग की होती हैं. यह प्रकृति का मादा को छिपने और घोंसलों की रक्षा करने में मदद करने का तरीका है.

    • शानदार माँ: मादा बत्तखें घास-फूस से घोंसले बनाती हैं और अंडे देती हैं. वे अपने बच्चों को अंडे से बाहर निकलने से लेकर उड़ने सीखने तक उनकी देखभाल करती हैं.माँ तो माँ होती है !

    तो, अगली बार जब आप बत्तखों को तालाब में तैरते हुए देखें, तो उनके तैरने के कौशल, विभिन्न प्रकार की चोंच और मातृत्व की भावना पर गौर करें. ये जलपक्षी वाकई में प्रकृति के अद्भुत नज़ारे हैं!

  • गौरैया (Gauraiya) गौरैया: चहचहाती छोटी सी चिड़िया (Gauraiya: Chahchahaati Chhoti Si Chidiya)
  • गौरैया छोटे आकार की लेकिन फुर्तीली चिड़िया है, जो आसानी के साथ इधर से उधर आ जा सकता है !जिसे अक्सर घरों के आस-पास, पेड़ों पर और बिजली के तारों पर चहचहाते हुए देखा जा सकता है. यह इंसानों के साथ रहने वाली सबसे आम चिड़ियों में से एक है. आइए जानते हैं गौरैया के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

    • सामान्य लेकिन खास: गौरैया को हम आम चिड़िया समझते हैं, लेकिन यह बहुत ही खास है. ये छोटी चिड़िया बहुत तेज दिमाग की होती है और जल्दी सीखने में माहिर होती हैं.इसे किसान का दोस्त भी कहा जाता है क्योकि खेत में बहुत से कीड़े को खा जाते है !

    • मजबूत सामुदायिक भाव: गौरैया झुंड में रहना पसंद करती हैं. मिल-जुलकर रहने वाली ये चिड़ियाँ एक-दूसरे की मदद करती हैं और खाने की तलाश में भी साथ निकलती हैं. अगर किसी को खतरा होता है, तो सभी मिलकर उसे दूर भगाने की कोशिश करती हैं.एक दूसरे का मदद करता है !

    • कौशल चोंच: गौरैया की छोटी सी चोंच बहुत मजबूत होती है. इससे वे आसानी से बीज, कीड़े-मकोड़े और फल आसानी से खा सकती हैं.

    • गजब का घोंसला: गौरैया पेड़ों की टहनियों या इमारतों के छेदों में घोंसला बनाती है. घोंसला बनाने के लिए वे घास-फूस, सूखे पत्ते और कपड़े के टुकड़ों का इस्तेमाल करती हैं.

    • कमी होती संख्या: गौरैया की संख्या पिछले कुछ सालों में तेजी से कम हो रही है. इसके पीछे कई कारण हैं, जैसे पेड़ों की कटाई, कीटनाशकों का इस्तेमाल और बड़े पक्षियों का हमला Bird name in hindi and english

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  • गरुड़ (Garud) गरुड़: हिमालय का राजा (Garud: Himalaya ka Raja)
  • गरुड़, एक विशाल और शक्तिशाली पक्षी है, जिसे हिंदू धर्म में भगवान विष्णु का वाहन माना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, गरुड़ को पक्षियों का राजा भी कहा जाता है. भगवान राम का मदद किये थे माँ सीता को खोजने में !:

    • आकार का दबदबा: गरुड़ को अत्यधिक विशाल पक्षी के रूप में वर्णित किया गया है. कहा जाता है कि इसके पंख इतने बड़े होते हैं कि उन्हें फैलाने पर सूर्य को भी ढक सकते हैं.

    • तेज गति और तीखी नजर: गरुड़ आकाश में बहुत तेज गति से उड़ सकता है. इसकी गति बहुत होता है !इसकी नजर इतनी तीखी होती है कि वह दूर से ही छोटे जीवों को भी देख सकता है.और आसानी से साथ शिकार कर सकता है !

    • सर्प का शत्रु: गरुड़ को सर्पों का सबसे बड़ा दुश्मन माना जाता है. कथाओं के अनुसार इन्हें नाग (सांप) खाने का बहुत शौक होता है.

    • पौराणिक महत्व: गरुड़ को वैदिक काल से ही पूजा जाता रहा है. यह ज्ञान, शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है.

    • वास्तविकता में: गरुड़ को वास्तविक पक्षी से जोड़ा जाता है तो यह संभवतः एक विशाल ईगल (Eagle) प्रजाति हो सकती है, जो हिमालय क्षेत्र में पाई जाती है. ये ईगल भी सांपों का शिकार करने के लिए जाने जाते हैं.Bird name in hindi and english

  • शिकरा (Shikra)  शिकरा: जंगल का तेज़ धावक (Shikra: Jangal ka Tez Daudak)
  • शिकरा एक छोटा और पतला शिकारी पक्षी है, जो जंगलों और खेतों में पाया जाता है. जो खेत में होने वाले कीड़े को कहते है यह अपनी तेज़ गति और शिकार करने के निपुण तरीकों के लिए जाना जाता है. आइए जानते हैं शिकरा के बारे में कुछ रोचक तथ्य:

    • तेज़ी से झपट्टा मारने वाला: शिकरा अपनी तेज़ गति और अचानक झपट्टा मारने की क्षमता के लिए जाना जाता है. पेड़ों पर या हवा में उड़ते हुए छोटे पक्षियों, छिपकलियों और चूहों को अपना शिकार बनाता है.

    • पतला और घुमावदार शरीर: शिकरा का शरीर पतला और घुमावदार होता है, जो तेजी से उड़ने और पेड़ों की टहनियों के बीच आसानी से घुसने में मदद करता है. इसकी पूंछ भी लंबी और पतली होती है, जो हवा में संतुलन बनाने में सहायक होती है.ये आसानी के साथ उड़ान भरता है !

    • तेज आंखें: शिकरे की आंखें तेज होती हैं, जो उसे दूर से ही अपने शिकार को देखने में मदद करती हैं. इसकी दूरबीन जैसी नज़र से कोई भी छोटी हरकत भी छिप नहीं सकती.

    • चालाक शिकारी: शिकरा अपने शिकार को पकड़ने के लिए कई तरकीबें लगाता है. कभी पेड़ों के बीच छिपकर घात लगाता है, तो कभी ऊंचाई से तेजी से झपट्टा मारकर शिकार को दबोच लेता है.इसके आँख बहुत तेज  होते है !

    • अकेला रहने वाला: शिकरा आम तौर पर अकेला रहना पसंद करता है. सिर्फ मating सीजन में ही नर और मादा एक साथ रहते हैं. दोनों मिलकर घोंसला बनाते हैं और बच्चों की देखभाल करते हैं.

    तो, अगली बार जंगल में घूमते समय आसमान पर नज़र रखें. शायद आप शिकरे को तेजी से उड़ते हुए या पेड़ की आड़ में छिपे हुए देख पाएं. यह खूबसूरत शिकारी पक्षी जंगल की खाद्य श्रृंखला का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है.

  • बाज (Baaz) बाज: आकाश का शानदार शिकारी (Baaz: Aakash ka Shaandaar Shikari)
  • बाज एक शानदार और ताकतवर शिकारी पक्षी है, ऊंचे उड़ान भरने के लिए जाने जाते है !जो ऊंचे पहाड़ों और जंगलों में पाया जाता है. अपनी तेज गति, पैनी नजर और शिकार करने के निराले हुनर के लिए यह पक्षी दुनियाभर में प्रसिद्ध है. आइए जानते हैं बाज के बारे में कुछ रोचक तथ्य:Bird name in hindi and english

    • आसमान का राजा: बाज को अक्सर "आकाश का राजा" कहा जाता है. इसकी वजह है इसकी ताकतवर बनावट, तेज़ उड़ान और शिकार को पलभर में धर दबोचने की क्षमता.ये बादल से भी ऊचे तक जाते है जब वर्ष होता है तो वह बादल से भी ऊपर चले जाते है ! 

    • तेज गति और निशाना: बाज़ हवा में बहुत तेज़ गति से उड़ सकता है. कुछ प्रजातियाँ तो 200 किलोमीटर प्रति घंटे से भी ज्यादा रफ्तार पकड़ सकती हैं. इतनी रफ्तार के साथ ही वे अपने शिकार को निशाना बनाते हैं और चूकते नहीं.

    • अदभुत नजर: बाज की आंखों की बनावट इतनी शानदार होती है इसका नजर बहुत तेज होता है !  वह जमीन से हजारों फीट ऊपर उड़ते हुए भी छोटे जीवों को आसानी से देख सकता है. इंसानों की तुलना में बाज़ की आंखें कहीं ज्यादा तेज़ होती हैं और ये एक साथ कई चीजों को फोकस में रख सकते हैं.

    • घुमावदार पंजे और नुकीले नाखून: बाज के पैरों में घुमावदार पंजे और नुकीले नाखून होते हैं, जो शिकार को मजबूती से पकड़ने में मदद करते हैं. इनके पंजों की पकड़ इतनी मजबूत होती है कि वे अपने से कई गुना बड़े जीवों का भी शिकार कर सकते हैं.

    • विभिन्न प्रजातियां: दुनियाभर में बाज की कई प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जिनमें से भारत में गोल्डन ईगल (Golden Eagle) और ब्लैक ईगल (Black Eagle) कुछ प्रमुख प्रजातियां हैं.

    तो अगली बार आसमान में बाज को उड़ते हुए देखें, तो उसके शानदार शिकार कौशल और धीमे से हवा में तैरने के अंदाज़ को गौर से देखें. ये आश्चर्यजनक पक्षी वाकई आसमान के सच्चे शासक हैं.

  • चील (Cheel)  चील: आसमानी सफाईकर्मी (Cheel: Aasmani Safaikarmi)
  • चील, एक पतली और चौड़े पंखों वाला शिकारी पक्षी है, यह कौआ से बड़ा होता है जिसे आसमान में आसानी से देखा जा सकता है. कभी-कभी ये शहरों में भी दिखाई देती हैं, लेकिन अब बहुत कम दिखाई देते है !लेकिन ज्यादातर ग्रामीण इलाकों और जंगलों में रहना पसंद करती हैं. चील को अक्सर मरे हुए जानवरों को खाते हुए देखा जाता है, लेकिन ये वातावरण के लिए बहुत फायदेमंद होती हैं. आइए जानते हैं चील के बारे में कुछ रोचक तथ्य:Bird name in hindi and english

    • आसमान की सफाईकर्मी: चील को प्रकृति की सफाईकर्मी कहा जाता है. ये मरे हुए या बीमार जानवरों को खाकर वातावरण को साफ रखने में मदद करती हैं. यदि ये मरे हुए जीव जंगल में सड़ने-गलने लगें, तो इससे बीमारियां फैलने का खतरा रहता है. चील ऐसे मृत जानवरों को खाकर इस खतरे को कम करती हैं.

    • तेज गंध वाली चीजों को सूंघ लेना: सूंघने का क्षमता बहुत होती है चील की गंध सूंघने की क्षमता बहुत शानदार होती है. वह दूर से ही मरे हुए जीवों की बदबू को सूंघ सकती है और तेजी से उस ओर उड़ जाती है.

    • चौड़े और मजबूत पंख: इसका पंख बहुत मजबूत  होता है चील के पंख चौड़े और मजबूत होते हैं, जो उसे हवा में लंबे समय तक ग्लाइड करने में मदद करते हैं. कम पंख फड़फड़ाकर ऊंचाई पर बने रहने में ये पंख चील की मदद करते हैं.

    • अकेली शिकारी: चील आम तौर पर अकेली शिकार करती है. हालांकि, कभी-कभी ये जोड़े में भी शिकार के लिए निकलती हैं.

    • विभिन्न प्रकार की चीलें: भारत में चील की कई प्रजातियां पाई जाती हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं - काली चील (Black Kite), सफेद चील (White-tailed Eagle) और पहाड़ी चील (Bonelli's Eagle).

  • गिद्ध (Giddh) गिद्ध: प्रकृति की सफाईकर्मचारी (Giddh: Prakriti Ki Safaikarmi)
  • गिद्ध एक गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षी है, जो मरे हुए जीवों को खाकर वातावरण को साफ रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.जो एक बहुत अच्छी बात है ! इनका सिर गंजा होता है और ये अक्सर गर्म इलाकों में पाए जाते हैं. आइए जानते हैं गिद्ध के बारे में कुछ रोचक तथ्य:Bird name in hindi and english

    • प्रकृति का सफाईकर्मी दल: गिद्धों को प्रकृति का सफाईकर्मी दल कहा जाता है. ये जंगली जानवरों से लेकर मवेशियों तक, मरे हुए जीवों को खाकर वातावरण को साफ रखते हैं और बीमारियों को फैलने से रोकते हैं.

    • तेज गंध सूंघने की शक्ति: गिद्धों की गंध सूंघने की शक्ति अद्भुत होती है. वे मीलों दूर से ही मृत जीवों की गंध को भांप लेते हैं और तेजी से उस ओर उड़ने लगते हैं.

    • गंजे सिर का रहस्य: गिद्धों का सिर गंजा होता है, क्योंकि अगर उनका सिर भी पंखों से ढका होता, तो मृत जानवरों को खाते समय सिर पर खून लग जाता और संक्रमण का खतरा बढ़ जाता. गंजे सिर की वजह से उन्हें मृत शरीर को खाने में आसानी होती है और बीमार होने का खतरा भी कम रहता है.

    • तेज धूप में रहना पसंद:  धुप में रहना पसंद करता है !गिद्धों को आमतौर पर गर्म इलाकों में और तेज धूप में उड़ते हुए देखा जाता है. इनकी बनावट ऐसी होती है कि ये तेज धूप को सहन कर सकते हैं. गर्मी मृत जानवरों के सड़ने को तेजी से बढ़ावा देती है, इसलिए गिद्ध ऐसे ही इलाकों में रहना पसंद करते हैं.

    • संकटग्रस्त प्रजाति: गिद्धों की संख्या पिछले कुछ दशकों में बहुत तेजी से कम हुई है. इसका मुख्य कारण मवेशियों में इस्तेमाल की जाने वाली कुछ दवाइयां हैं, जो गिद्धों के लिए जहर की तरह काम करती हैं. इन दवाओं से युक्त मृत जानवरों को खाने से गिद्ध बीमार होकर मर जाते हैं.


  • सारस (Saras)   सारस: भारत का गौरवशाली पक्षी (Saras: Bharat ka Gauravshali Pक्षी)
  • इसे मछली खाना पंसद है सारस, भारत का गौरवशाली पक्षी है, जिसे उसकी सुंदरता, ऊंचाई और وفاداری (vafaadari - loyalty) के लिए जाना जाता है. यह लुप्तप्राय प्रजाति है, जिसका संरक्षण करना बहुत जरूरी है. आइए जानते हैं सारस के बारे में कुछ रोचक तथ्य:Bird name in hindi and english

    • भारत का राज्य पक्षी: सारस को उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में राज्य पक्षी का दर्जा प्राप्त है. ये भारत, दक्षिण-पूर्व एशिया और ऑस्ट्रेलिया में पाए जाते हैं, लेकिन भारत में इनकी सबसे ज्यादा संख्या देखने को मिलती है.

    • प्रेम का प्रतीक: इसे प्रेम का प्रतीक माना जाता है सारस को प्रेम का प्रतीक माना जाता है. ये आमतौर पर जोड़े में रहते हैं और जीवन भर साथी का साथ निभाते हैं. अगर एक साथी की मृत्यु हो जाती है, तो दूसरा सारस अकेले ही रहता है.

    • लंबा और आकर्षक: सारस लंबे पैरों और गर्दन वाला एक बड़ा पक्षी होता है. इसकी ऊंचाई लगभग 1.8 मीटर तक हो सकती है. इनका रंग सफेद या हल्का ग्रे होता है, और सिर तथा गर्दन का ऊपरी हिस्सा लाल होता है.

    • खास तरह की आवाज: सारस की आवाज बहुत तेज और ऊंची होती है. इन्हें सुबह और शाम के समय जोर-जोर से ट्रम्पेट जैसी आवाज निकालते हुए सुना जा सकता है.

    • दलदली भूमि का पक्षी: सारस आमतौर पर दलदली भूमि, तालाबों और घास के मैदानों में रहना पसंद करते हैं. ये वहीं अपना घोंसला बनाते हैं और मछली, मेढक, कीड़े-मकोड़े जैसे छोटे जीवों का शिकार करते हैं.

    • लुप्तप्राय प्रजाति: अपने आवास नष्ट होने और शिकार के कारण सारस की संख्या लगातार कम हो रही है. इन्हें लुप्तप्राय प्रजाति घोषित कर दिया गया है और इनके संरक्षण के लिए कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.

    तो, अगली बार किसी सारस को देखने का मौका मिले, तो उसकी खूबसूरती और प्रेम के प्रतीक होने का सम्मान करें. साथ ही, इस लुप्तप्राय प्रजाति के संरक्षण के लिए जागरूकता फैलाने में भी अपना योगदान दें

  • हंस (Hans)   हंस: सरस्वती का वाहन (Hans: Saraswati ka Vahan)
  • हंस, एक सुंदर और सफेद पक्षी है, जिसे हिंदू धर्म में

    Bird name in Hindi and English

    ज्ञान की देवी सरस्वती का वाहन माना जाता है. यह शांत स्वभाव वाला पक्षी मीठे जल वाली झीलों और नदियों में पाया जाता है. आइए जानते हैं हंस के बारे में कुछ रोचक तथ्य:Bird name in hindi and english

    • सुंदरता का प्रतीक: ये दिखने में बहुत ज्यादा सुन्दर होते है !हंस को उसकी चमकदार सफेद पंखों, लंबी गर्दन और चोंच के लिए जाना जाता है. इन्हें सुंदरता और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है.

    • सरस्वती का वाहन: हिंदू धर्म में, हंस को ज्ञान और कला की देवी सरस्वती का वाहन माना जाता है. हंस को ज्ञान और विवेक का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये सिर्फ दूध को ही पानी से अलग करके पी सकते हैं.

    • जोड़े में रहना पसंद: हंस ज्यादातर जोड़े में रहते हैं और जीवन भर साथ रहते हैं. वैवाहिक जीवन में मेल-जोल और प्रेम का प्रतीक माने जाते हैं.

    • शाकाहारी पक्षी: हंस मुख्य रूप से शाकाहारी पक्षी होते हैं. ये कमल, जलकुंभी जैसे जलीय पौधे और उनके बीज खाते हैं. कभी-कभी ये छोटे कीड़े-मकोड़े भी खा लेते हैं.

    • मीठी आवाज: हंस की आवाज बहुत ही मधुर और कोमल होती है. इन्हें शांत वातावरण में धीमी गति से टेरहें लगाते हुए सुना जा सकता है.

    • दुनियाभर में पाए जाते हैं: हंस विभिन्न प्रजातियों में दुनिया भर के मीठे जल वाले इलाकों में पाए जाते हैं. इनमें से भारत में मुख्य रूप से राजहंस (Greater Flamingo) और सारस हंस (Sarus Crane) देखने को मिलते हैं.

    हंस की खूबसूरती, शांत स्वभाव और पवित्रता का सम्मान करना चाहिए. हों सकता है भविष्य में भी हम तालाबों और नदियों में इन खूबसूरत पक्षियों को उसी तरह से देख सकें, 

  • तो आशा करते है दोस्तों आपने Bird name in hindi and english के बारे में कुछ रोचक तथ्य जाने होंगे !


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