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दिपावली पूजा लक्ष्मी पूजा काली पूजा के बारे में महत्वपूर्ण तथ्य | Important fact about Deepavali Puja Lakshmi Puja Kali Puja

दोस्तों आज में आपको काली पूजा के बारे में महत्वपूर्ण और मजेदार जानकारी साझा करुगा | काली पूजा हिन्दू का महत्वपूर्ण त्योहार है | माँ काली माँ दुर्गा का नौ रूपों में एक है | दीपावली में घर समाज में सिर्फ प्रकाश ही दिखाई देता है || दोस्तों हमारे संस्कृति में प्रकश का बहुत महत्व है | दीपावली का मतलब होता है दीपो की पंक्ति | दीपावली प्रकाश का पर्व  है | इस दिन घर के सुख शांति समृदि के लिए श्री गणेश और माता लक्ष्मी का पूजन किया जाता है | दीपावली में सन सनाती में आग लगाते है | माँ काली का बहुत ही शारदा के साथ धूमधाम से पूजा होती है | घर समाज लाईट बत्ती और दीपक दीया से जगमाने लगता है | हर तरफ पटाखा का गुंज सुनाई देता है | इस दिन का इंतजार हर लोग को होता है | यह त्योहार पुरे भारत में मनाया जाता है | भारत के अलावा अन्य देश में भी यह त्योहार मनाया जाता है | यह त्योहार का संबंध संसार के महान मर्यादा पुरुष श्री राम से भी है | श्री राम वनवास का समय खत्म कर अयोध्या में पधारें थे | इसी ख़ुशी में दीपों का उत्सव का आयोजन किया गया था | दीपावली का इंतजार हर किसी को रहता है | दीपावली भारत का सबसे प्रसिद्ध त्योहार है | 

दीपावली KALI PUJA कब मनाया जाता है | 

दीपावली कार्तिक मास की अमावस्या के अँधेरी रात के दिन मनाया जाता है | अगर इंग्लिश मास का बात करे तो अक्टूबर या नबंवर में मनाया जाता है | यह त्योहार सभी धर्म के लोग मिलकर मनाते है सिर्फ दीपावली ही क्यों भारत में सभी त्योहार सभी धर्मो के लोग मिलकर मनाते है | आपना देश बहुत खूबसूरत देश है | जहाँ लोग एक दूसरे धर्म का सम्मान करते है और सभी धर्म के लोग मिलकर त्योहार मनाते है | 


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 KALI PUJA क्यों मनाया जाता है |

आपने देश में कितना भी त्योहार मनाया जाता है सभी त्यौहार के पीछे कुछ ना कुछ रहस्य या कारण जरूर होता है | पौराणिक मान्यता के अनुसार  MAA KALI राक्षसों का संहार करने के बाद भी माँ काली क्रोध की अवस्था में थी | MAA KALI का क्रोध शांत नहीं हो रहा था | उस समय माँ काली को देखकर ऐसा लगा की थोड़े समय में सारे संसार को नष्ट कर देगी | देवतागण व्याकुल हो गया था | देवता ने बहुत समझाने का कोशिश किया लेकिन देवता का प्रयास बेकार गया | माँ का इस रूप को देखकर माँ का क्रोध शांत करने के लिए शंकर जी स्वयं माँ के चरणों में लेट गए | शंकर जी के शरीर को स्पर्श करते ही माँ काली का क्रोध शांत हो गया और आश्चर्य से माँ का जीभ बाहर निकल आई | माँ काली का इसी स्वरूप का पूजा होता है | दोस्तों माँ लक्ष्मी का शांत स्वरूप का इस दिन पूजा करने का विधान है | इस दिन माँ काली की मूर्ति का स्थापना होता है माँ काली का विधि विधान के साथ पूजा होता है | माँ काली का अवतार हुआ था दुष्ट का संहार करने के लिए | 



दीपावली क्यों मनाया जाता है | 

1. मर्यादा पुरुष श्री राम का अयोध्या आना - जब राम जी रावण को हराकर और 14 वर्ष वनवास पूरा कर अयोध्या आये तो अयोध्या वासी श्री राम का स्वागत करने और ख़ुशी मनाने के लिए अयोध्यावासी ने पुरे नगर को रोशनी से सजा दिया | इसी याद में आज भी मनाया जाता है दिवाली | 


2. विष्णु पुराण के अनुसार हिरण्यकश्यप ने आपने पुत्र प्रह्लाद को बहुत कष्ट दिए और जान मारने का आदेश भी दे दिए थे | बार बार प्रह्लाद को मरने का प्रयास किया गया लेकिन हर बार श्री विष्णु जी के आर्शीवाद से भक्त प्रह्लाद को कुछ भी नहीं हुआ | हिरण्यकश्यप एक बहुत ही क्रूर राजा थे | हिरण्यकश्यप को मारने के लिए श्री विष्णु जी ने नरसिंह का अवतार लिए और हिरण्यकश्यप का वध किये | हिरण्यकश्यप का मृत्यु पर प्रजा ने घी के दिए जलाकर दीवाली मनाई थी | 


3. कृष्ण दुवारा नरकासुर का वध | 

दोस्तों श्रीकृष्ण का अवतार दानव राक्षक का वध करने के लिए हुआ था | श्री कृष्ण ने दीपावली के एक दिन पहले चतुर्दशी को नरकासुर का वध किया था | इसी ख़ुशी में अगले दिन अमावस्या को गोकुलवासियों ने दिप जलाकर खुशिया मनाई थी |


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4.  दीपावली के दिन माता लक्ष्मी दूध के सागर जिसे केसर सागर के नाम से जाना जाता है से उतपन्न हुई थी | साथ ही समुद्र मंथन से आरोग्यदेव धन्वंतरि और कुबेज  प्रकट हुए थे | 





दीपावली की तैयारियां 

दीपावली की तैयारी दुर्गा पूजा समाप्त होते ही शुरू हो जाती है | यह त्योहार सभी धर्म के लोग मिलकर मनाते है | यह त्योहार शुरू होने के पहले घर दुल्हन के तरह चमक जाता है | घर का लिपाई - पुताई सजावट प्रारंभ हो जाता है |  वर्ष के बाद की गंदगी भव्य आकर्षण सफाई और स्वच्छता में प्रवर्तित हो जाता है | यह त्योहार पांच दिन तक मनाया जाता है | दीपावली का यह त्योहार धनतेरस से भाई दूज तक चलता है | धनतेरस के दिन व्यापारियों का दिन होता है | क्योकि व्यापारियों का अधिक बिक्री होता है | आमवस्य के दिन माँ लक्ष्मीजी की पूजा की जाती है | माँ को बताशे मिठाइयां फल इत्यादि का भोज लगाया जाता है |  यह त्योहार में बच्चे बहुत खुश रहते है | क्योकि बच्चे को पटाखे और फूल झड़ी इत्यादि मिलते है | इस दिन मंदिरो में असंख्य दिये जलते है | हर तरफ प्रकाश ही प्रकाश दिखाई देता है | हमारे सस्कृति में प्रकाश का बहुत महत्व है | लोग माँ का प्रतिमा का दर्शन करते है और एक दूसरे को दीपावली का शुभकामनाऐं देते है | 






दीपावली का पांच दिन | क्या क्या होता है | और धनतेरस नाम क्यों पड़ा


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पहला दिन : पहले दिन को धनतेरस कहते है | धनतेरस को त्रयोदशी भी कहते है | धनतेरस के दिन यमराज कुबेर और धन्वंतरि की पूजा का महत्व है | इसी दिन समुद्र मंथन में धन्वंतरि अमृत कलश के साथ प्रकट हुए थे | और उनके साथ आभूषण व बहुमूल्य रत्न भी समुद्र मंथन से प्राप्त हुआ थे | तभी से इस दिन का नाम धनतेरस पड़ा और इस दिन बर्तन धातु व आभूषण खरीदने दी परंपरा शुरू हुई | 


दूसरा दिन :  दूसरे दिन नर्क चतुर्दशी होती है | इस दिन सुबह जल्दी जागना और सूर्योदय से पहले स्नान करने की परंपरा है | यह दिन के पीछे कहानी यह है | दानव राजा नरकासुर अदिति के मनमोहक झुमके छीन लेते है | और आपने अन्तः पुर में देवताओ और संतो की सोलह हजार बेटियों को कैद कर लेते है | नर्क चतुर्दशी के अगले दिन कृष्ण ने दानव को मार डाला और कैद हुई कन्याओ को मुक्त कराकर अदिति के कीमती झुमके बरामद किये | महिलाओं ने अपने शरीर को सुगन्धित तेल से मालिश किया और आपने शरीर से गंदगी को धोने के लिए एक अच्छा स्नान किया | दोस्तों इसलिए इस दिन जल्दी स्नान की यह परंपरा बुराई पर दिव्यता का विजय का प्रतीक है | 


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तीसरा दिन : तीसरा दिन समारोह का सबसे महत्वपूर्ण दिन होता है क्योकि इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा होती है | इस दिन सूरज अपने चरण में प्रवेश अंधियारी रात होने के बाबजूद भी इस दिन को बहुत ही शुभ मान जाता है | छोटे छोटे टिमटिमाते दीपक पुरे शहर में प्रज्वलित होने से रात का अभेद्य अंधकार धीरे धीरे गायब हो जाता है | यह माना जाता है की लक्ष्मीजी दीपावली रात को पृथ्वी पर विचलित करती है | और समृद्धि के आशीर्वाद की वर्षा करती है | इस दिन माँ लक्ष्मी का पूजा किया जाता है | यह दिन को बहुत ही शुभ माना गया है | क्योकि इस दिन बहुत से महान आत्मा और सन्त लोगो ने समाधि ली है और आपने नश्वर शरीरी छोड़ दिया है | इस दिन नश्वर शरीर का त्याग श्री कृष्ण और महावीर ने भी किये थे| | दीपावली का पर्व विशेष रूप से माँ लक्ष्मी के पूजन पर्व होता है | 


चौथा दिन : समारोह का चौथा दिन वर्ष प्रतिपदा के रूप में जाना जाता है और राजा व्रिकम की ताजपोशी को पहचान करता है | यह वह दिन है जब श्री कृष्ण ने इंद्र की मूसलाधार बारिश के क्रोध से गोकुल को बचने के लिए गोवर्धन पर्वत उठाया था |  चौथे दिन अन्नकूट या गोवर्धन पूजा होता है | कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा एवं उत्सव मनाया जाता है | इस दिन घर के पालतू बैल गाय बकरी आदि को अच्छे से स्नान कराकर सजाया जाता है | फिर इस दिन घर के आँगन में गोबर से गोवर्धन बनाए जाते है और पूजन कर पकवानो का भोग अर्पित किया जाता है | 


 दीपावली का अंतिम दिन |  

इस दिन को भाई दूज कहा जाता है भाई दूज का पर्व भाई - बहन के रिश्ते को मजबूत बनाने और  लंबी उम्र के लिए मनाया  है | रक्षाबंधन के दिन भाई अपनी बहन को अपने घर बुलाता है जबकि भाई दूज पर बहन अपने भाई को अपने घर बुलाकर उसे तिलक कर भोजन कराती है | 


भाई दूज का मान्यता | 

यमराज अपनी बहन यमुनाजी के उनके घर आए थे | यमुनाजी ने भाई यमराज को को बहुत ही प्रेमपूर्वक भोजन कराया एवं यह वचन लिया की इस दिन हर साल वे अपनी बहन यमुनाजी से घर में भोजन के लिए पधारेंगे | तभी  से भाई दूज का यह परंपरा बन गई | 


विदेश में दीपावली | 

नेपाल - नेपाल में दीपावली बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है | नेपाल में इस त्यौहार को तिहार नाम से जाना जाता है | 


बर्मा - बर्मा में  यह त्यौहार राष्ट्रीय पर्व के रूप में मनाया जाता है | आपने देश के तरह ही बर्मा में भी श्री लक्ष्मी और श्री विष्णु का पूजन किया जाता है | लोग नए कपड़े पहनते है | रात्रि को दीपो से सजावट करते है | और रात में आतिशबाजी करते है | 


इंग्लैंड - इंग्लैंड में भी दीपावली बहुत धूम धाम के साथ मनाया जाता है | यह त्योहार लन्दन के लोगो को बहुत पसंद है | 

मलेशिया - मलेशिया में दीपावली बहुत धूमधाम के साथ मनाया जाता है | इस दिन मलेशिया में अवकाश रहता है | लोग घरो में पार्टी का आयोजन करते है | 


श्रीलंका - इस द्वीप में रह रहे लोग दिपावली के सुबह उठ कर तेल से स्नान करते है | और मंदिर में पूजा करते है | दीपावली में खेल गायन नृत्य आतिशबाजी का आयोजन किया जाता है | 

इन देश के आलावा अनेक देशो में दीपावली धूमधाम के साथ मनाया जाता है | 

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दीपावली में ध्यान रखने योग्य बातें | 

पटाखा दीपावली में अत्यधिक जलाये जाते है | ठीक है साल में एक दिन आता है त्योहार लेकिन थोड़ा सावधानी के साथ पटाखा जलाना चाहिए | त्यौहार के आतिशवाजी में दूसरे और खुद का ख्याल रखना बहुत जरूरी है | पटाखा सावधानी के साथ जलाना चाहिए | ज्यादा आवाज वाला पटाखा समाज से दूर जाकर ही छोड़ना चाहिए | 


निष्कर्ष 

दीपावली खुशियों का त्यौहार है | इससे जुड़ी प्रत्येक चीज हमे ख़ुशी देती है | हम सभी को समाज के जिम्मेदारी नागरिक होने के नाते यह कर्तव्य बनता है की हमारे मस्ती के वजह से किसी अन्य लोगो को किसी प्रकार का कष्ट न हो | 


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